Friday, 21 March 2014

किस्मत की परछाईयाँ--------

हम जो जबाँ पर न ला पाये -
वो जमानें की दस्तकों नें पूरी कर दी,
दिलों को खुषताकील कर के महफ़िल जो हमारी सजा दी |
ऐतराज़ की कोई गुंजाईश हम क्या रखते
 बेइंतहा वफ़ा जो हम पर कुर्बान कर दी ||

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