हम अपनी कायनात को किस तरह रोशन करें ,
यही अल्लाह से दुआ मांगते हैं ,
रंजिश ही सही ,हम उसे भी गले लगाते हैं ||
बेइन्तहां जो इस ज़िन्दगी से प्यार करे,
उसकी रूह जैसे जिस्म से निकलकर कह रही हो,
सम्भालो अपने को, इस दोराहे पर क्यों खड़ी हो ,
इस दूसरी ज़िन्दगी को अपना लो,
जाने न दो , अपने हाथ फैला लो |
जो हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमसे रूहानी करे ,
हमें जरूरत है ऐसे चुनौतीपूर्ण उत्साह की, अब हम क्यो डरें ?